आखिर यह योग है क्या?
Article written by Sandhya Chaudhary | Sahaja Yogini
दोस्तों आजकल योग का नाम बहुत सुनाई पड़ रहा है।हर छोटे-बड़े शहर में योगा क्लासेस चल रही है।आखिर यह योग है क्या?…
योग का मतलब है जुड़ना….अपनी आत्मा से जुड़ना या आत्मा का परमात्मा से मिलन….जब ऐसा होता है उसको योग कहते हैं,और ऐसे व्यक्ति को योगी कहते हैं।
लेकिन आजकल तो योग के नाम पर प्राणायाम करवाया जा रहा है,जो सरासर अनुचित है।
पतंजलि ने क्या बताया वह किसी को पता नहीं और योग किए जा रहे हैं।
पतंजलि ने जो योग बताया था वह गुरुकुल में रहकर किसी अनुभवी योग गुरु के सानिध्य में रहकर प्राप्त किया जाता था,और वह भी ब्रह्मचर्य की आयु तक और यह योग या प्राणायाम केवल ब्रह्मचारियों के लिए था गृहस्थ के लिए नहीं….क्योंकि प्राणायाम से आप बहुत शुष्क हो जाते हैं,क्रोधी स्वभाव के हो जाते हैं, जिसका प्रभाव हमारे गृहस्थ जीवन पर भी पड़ता है।
पुराने जमाने में जो योगी लोग होते थे,वे विवाह भी करते थे और एक दूसरे के लिए पूरी तरह समर्पित और मर्यादित तरीके से रहते थे।
लेकिन आजकल का जो योग है,उसमें ना तो कोई पवित्रता है और ना ही मर्यादा।
योग आश्रम के नाम पर पैसा कमाया जाता है,औरतों की इज्जत से खेला जाता है,और सभी तरीके के गलत काम होते हैं।
शहरों में यह काम ज्यादा होता है,क्योंकि शहर में इतनी भागदौड़ है और इंसान बहुत परेशान…उसी का फायदा ऐसी सारी संस्थाएं उठा रही हैं,और लोगों को उल्लू बना कर लूट रही हैं।
पैसा भी जाता है और इज्जत भी जाती है…और फिर ठन ठन गोपाल।
ऐसी बहुत सी संस्थाएं हैं,जो कहती हैं कि शादी मत करो और बिना शादी किए हुए ही शादीशुदा की तरह रहते हैं।
कुछ संस्थाएं ऐसी हैं कि पति पत्नी भाई बहन बन जाते हैं।ऐसी योग संस्थाएं हॉस्पिटल वगैरह भी बनाती हैं,क्योंकि उनको वहां अवैध गर्भपात करवाने होते हैं।
अब आप बताइए कि जो योग करता है,उसको डॉक्टर की तो कोई जरूरत ही नहीं होनी चाहिए,क्योंकि योग ऐसी शक्ति है जिसके द्वारा आदमी जीवन भर तंदुरुस्त रह सकता है,और उसको कोई बीमारी भी नहीं लगती।
आत्मसाक्षात्कार ऐसी विधि है जिससे आपका योग हो जाता है, अर्थात आप परमात्मा से जुड़ जाते हैं, और आपकी सारी बीमारियां और परेशानियां खत्म हो जाती हैं।
लेकिन ऐसी कितनी संस्थाएं हैं जो आत्मसाक्षात्कार की बात करती हैं। केवल भाषण भाषण भाषण बस यही होता है और भाषण दे देकर लोगों को सम्मोहित करते हैं,उनके पैसे लूटते हैं, उनकी इज्जत लूटते हैं,और कोई उनकी तरफ उंगली भी नहीं उठाता।
ऐसी संस्थाओं में आपस में कुछ मनमुटाव होने पर मर्डर भी हो जाते हैं, लेकिन पुलिस वालों को पैसे दे दिला कर सारा मामला रफा-दफा हो जाता है।
सफेद कपड़े पहन कर सोचते हैं कि हमारे सारे पाप भी साफ हो जाएंगे। लेकिन ऐसा कहां होता है,परमात्मा तो सब देख ही रहे हैं,कौन क्या कर रहा है चाहे आप कितने भी सफेद कपड़े पहन लो,लेकिन उस परमात्मा के सीसीटीवी कैमरे से बचने वाले नहीं।
बहुत दुख होता है सीधे-साधे लोगों को ऐसी संस्थाओं के मकड़जाल में फंसते हुए।पेपर में भी छपता है,पकड़े भी जाते हैं,जेल जाते हैं,सजा होती है, लेकिन फिर भी अपने गुरु घंटाल गुरु के गुण गाते ही रहते हैं।कब जागेंगे लोग आखिर कब?
Article written by Sandhya Chaudhary | Sahaja Yogini